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संगति भी शृंगार है

नवनीत सेमवाल
सरनौल बड़कोट, उत्तरकाशी, (उत्तराखंड)
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हूॅं तो अदृश्य मगर
होती महसूस बहुत हूॅं
शृंगार हूॅं मैं, संस्कार हूॅं
सु-शील द्वारा आहूत हूॅं

छाप मेरी ज़ोरदार है क्योंकि सदाचरण मेरा शृंगार है।।

हूॅं बीजांकुर, बीजाक्षर हूॅं
होगी वाटिका किसी की सीरत
उगने में थोड़ी होगी जटिलता
उगकर तेरी खिलेगी नीयत

छाप मेरी ज़ोरदार है क्योंकि सदाचरण मेरा शृंगार है।।

हूॅं आँचल से व्यापक मैं
लीन है मुझमें सोलह संस्कार
होगा प्रभाव मेरा धीरे-धीरे
तुम अपनाना पहली बार

छाप मेरी ज़ोरदार है क्योंकि सदाचरण मेरा शृंगार है।।

हूॅं अतिथि अनाहूत हूॅं मैं
करना कोशिश बुलाने की
प्रयासरत हूॅं तुम्हारे मन में
सद्वृति की लहरें उठाने की

छाप मेरी ज़ोरदार है क्योंकि सदाचरण मेरा शृंगार है।।

परिचय :-  नवनीत सेमवाल
निवास : सरनौल बड़कोट, उत्तरकाशी, (उत्तराखंड)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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