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गगन

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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गगन भी नमन
करता है उनको
जो माटी से
सोना उगाते हैं
नमन करता है
गगन उनको
जो सीमा पर
रक्षा करतें हैं
सियाचिन का
बर्फ हो या।
रेगिस्तान की
गर्मी का कहर
दृढ़ है, डटे हैं,
निर्भयता से
खड़े हैं दुष्ट
दलन के लियै।
नमन करता है
गगन ऊनको तो
बोझा ढोकर
गगन चुम्बी
भवनों का
निर्माण करतें हैं
गगन भी नमन
करता है उसको
मानव सेवा के वृति है
निस्वार्थ अनवरत
लगे रहते हैं।
नमन करता है
गगन थरा को
जो धैर्य से,
अडिग खड़ी हैं
खनन, उत्खनन,
ज्वालामुखी का
ताप सहती है।
मानव समाज के लिए
प्रकृति के रुप में खड़ी हे
दृढ़ निश्यी होकर
तभी तो, तभी तो
गगन उत्सुक होता है
धरा से मिलने के लिये
सन्ध्या की प्रतीक्षा करता है
क्षितिज पर धरा से
मिलने के लिए

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित व वर्तमान में राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर एवं लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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