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काल्पनिक स्त्री

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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एक काल्पनिक सी स्त्री,
जो सदैव नवीन होती,
नए नए रूप धरती,
कभी ना उम्मीद ना होती!

काम काज में निपुण होती
पाक कला में सिद्ध हस्त होती,
सबके नाज़ो नखरे सहती
हर कुछ परिपूर्ण करती!

फ़ूलों की खुशबु की तरह
हरदम तरोताजा रहती
अपने प्राणों को मुट्ठी
में दबा कर जीती
बटोर कर हर टुकड़ों को,
संजोकर रखती
विवश हो, खामोशी से
सबकी चाहतों को पूरा करती
उसे नहीं पता स्वयं के
सूकून-दर्द-और
सपनो की परिभाषा
नहीं मालूम गहरे कुएं के
तल से बाहर आकाश देखना
वो है एक काल्पनिक स्त्री
जिसकी चाहत सभी को होती!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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1 Comment

  • किरन अवस्थी

    वाह वाह, बहुत ही सुन्दर रचना। बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद, साधुवाद आपको। जो आपने रच डाला,वो संभवतः हर स्त्री की की भाषा‌है, हर परिवार की वो काल्पनिक स्त्री।

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