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भारत तीर्थ मेरा

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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भारत तीर्थ मेरा
मेरा मन और कहां जाए
मेरे बचपन की स्मृतियां
बालपने की वो सखियां
भारत की वो गलियां
सपनों की वो रतियां
भाई बहन की गलबहियां
खेले धूप-छांव-पहाड़ और नदियां
छुटाई खूब पटाके की लड़ियां
भारत तीर्थ मेरा।

मेरा सपना हो गया पूरा
सबको घर भोजन पानी बिजली
मनाए भारत का हर रहवासी
ईद, दिवाली, होली, संक्रांति, लोहड़ी
गिद्दा, भंगडा, गरबा, कुचीपुड़ी
तिल-लड्डू, पोंगल-खिचड़ी
गुड़ी-पड़वा पर पूरन पोली
भारत तीर्थ मेरा।

सबके मन हों वेद उपनिषद्
सबके हाथों कंप्यूटर
आंध्र कर्नाटक तेलंगाना
केरल तमिलनाडू के देवालय
सबका हो अपना शोधालय,
सत्संग की महिमा और मैत्री
त्याग भावना रामायण सी
सबके मानस में गीता
सभी समस्याएं मिट जाएंगी
न हो जीवन रीता-रीता
भारत तीर्थ मेरा।

गंगासागर असम, जगन्नाथ पुरी
मिजोरम नागधरा और मेघालय
बंग उड़ीसा मणीपुर अरुणाचल
बिहार के पुरातन पुस्तकालय
सब भारत के तीर्थालय
पूरे भारत के चारों धाम
शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग
हेमकुंड साहिब मानसरोवर
काशी प्रयागराज हरिद्वार संगम,
मां शारदा, वैष्णवी की
स्वर्ग सी कश्मीर है नगरी
कलि की है संभल नगरी
गंगोत्री अलकनंदा भागीरथी
ब्रह्मपुत्र गंगा यमुना नर्मदा
कृष्णा कावेरी ताप्ती
देवदार के वन फूलों की घाटी
भारत तीर्थ मेरा।।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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