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प्रथम सभ्यता

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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प्रथम सभ्यता इसी धरा पर
इसके सीने पर हुई हलचल
इस धरती पर पग रखा
प्रथम मनु ने साक्षी बनकर।

प्रथम वांग्मय इसी धरा पर
वेदों की वाणी बनी धरोहर
उपनिषदों ने की इनकी व्याख्या
गाईं पुराणों ने गाथाएं मनोहर।

कैस्पियन सागर और इर्दगिर्द
वर्तमान लेबनान के राजा बलि
फैली थी मानव संस्कृति
जनक थे इसके कश्यप ऋषि।

इस विकसित संस्कृति के रहवासी
आर्य यहां कहलाए
नाम धरा का आर्यावर्त था
विष्णुभक्त प्रहलाद
ईरान (आज का) का राजा था।

अवतरित आदि तीर्थंकर
ऋषभदेव जी श्रीराम के
६७ वें पूर्वज ऋषिराजा
उनके ग्रंथों में दर्शन
जो आज है केल्ट सभ्यता।

पूज्य ऋषभदेव के पुत्र भरत
चक्रवर्ती नरेश महा यशस्वी
राज्य चहुं दिशि फैलाया
‘भारतवर्ष’ देश यह कहलाया।
(वर्ष का अर्थ है भूमि
अर्थात् भरत की भूमि)।

हुए यशस्वी राजा दुष्यंत
पुत्र भरत का जन्म हुआ
इसी परंपरा में आगे
राजा रघु का राज्य हुआ।

उनके अनुवर्ती राजा दशरथ
रामश्री रघुवंशी कहलाए।
श्रीराम के भ्राता एक भरत‌ थे
हम भारतवंशी कहलाए।

हम हैं इनकी‌ संतानें
सनातन संस्कृति भारत की
इस धरती पर अधिकार हमारा
इसकी रक्षा भार हमारा।

इसे नहीं ‌हम झुकने देंगे
इसे नहीं हम मिटने देंगे।
देश की रक्षा कौन करेगा
हम करेंगे हम करेंगे।।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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