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मतलब का गीत

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

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बल-विद्या क्या बुद्धि ठगी का,
चलन पुराना नया नहीं है।
मतलब की दुनिया में मतलब,
मात्र स्वार्थ है हया नहीं है।।

पल-पल छलना धोखा खाना।
पिंजरे में आकर फँस जाना।।
फिर मुश्किल बचकर जा पाना,
कहीं सुरक्षित नहीं ठिकाना।।

तुम भी उड़ो पखेरू बचकर,
बली बाज है बया नहीं है।।

असहनीय सी पीर दिखा लो।
या रोती तस्वीर दिखा लो।।
कोई नहीं पसीजेगा तुम,
बेशक छाती चीर दिखा लो।

यह क्रूरों गाँव यहाँ पर,
सिर्फ सजा है दया नहीं है।।

यहाँ भूलकर भी मत आना।
शेष न होगा फिर पछताना।।
आने का मतलब है मतलब,
मरने से पहले मर जाना ।।

देख रहा हूँ यहांँ आदमी,
आकर वापस गया नहीं है।।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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