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धर्म ध्वजा

किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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धन्य-धन्य हे तु जननी,
हीरा माणक सा लाल जना,
है धन्य हुई यह है वसुधा,
गोदी में आया बाल जना।
धर्म का प्रहरी धर्म रक्षक जग में,
सनातनी धर्म की ले धर्म ध्वजा,
निकल गया है कमर जो कसकर,
निडर बहादुर लाल बना।
अपने जीवन की रक्षा किए बिन,
निकल गया धर्म डगर पर आज,
माता का बलिदान बड़ा है,
धन्य ऐसी जननी आज।
अपने दिल के टुकड़े की,
आहुति दे दी धर्म यज्ञ में है,
एक माँ ही माँ को है समझे,
क्या दर्द बँया कर सकती आज।
दिल पर पत्थर रखकर के वो,
जब विदा कर दिया लाल को है,
लाखों का पुत्र बना जग में ,
लाखों के दिल का टुकड़ा है।
अब हिंदू राष्ट्र की कल्पना को,
साकार रूप ले दिल में वो,
नहीं ऊंच-नीच का भेदभाव,
हैं लगा लिया दिल से सबको।
अब गरीब अमीर की खाई को,
आज मिटा दिया हर दिल से वो।
चले चलो और बड़े चलो,
आज कदम से कदम मिलना है,
“संकल्प” ठान लिया है मन में जो,
अब हिंदू राष्ट्र बनाना है।
“उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहां जो सोवत है,
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है”

परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स
व्यवसाय : बिजनेस वूमेन
विशिष्ट उपलब्धियां :
१. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित
२. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित
३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट्रीय समान २०२४” से सम्मानित
४. १५००+ कविताओं की रचना व भजनो की रचना
रूचि : कविता लेखन, चित्रकला, पॉटरी, मंडला आर्ट एवं संगीत
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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