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बेटियाँ

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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माता -पिता के गुजर जाने से
घर को संभाल रही बेटियाँ
कांधा देकर/अग्निदाह करके
संस्कृति निभा रही बेटियाँ।

बेटों के बिना बेटा बन के
लोगों को दिखला रही बेटियाँ
वेशभूषा से पहचान मुश्किल
कहते है की बेटे है या बेटियाँ।

वाहन चलाने से डरती थी
हवाई- जहाज उड़ा रही बेटियाँ
प्राकृतिक आपदाओ के समय
लोगों की जाने बचा रही है बेटियाँ।

देश की सीमा -प्रहरी बन के
दुश्मनों को दहाड़ रही है बेटियाँ
कुशल राजनीती बन कर ये
देश -प्रदेश को संभाल रही बेटियाँ।

भ्रूण हत्या ,दहेज़ ,बलात्कार को
रोकने का बीड़ा उठा रही है बेटियाँ
बेटी बचाओ का संकल्प लो सभी
दुनिया को ये संदेश दे रही है बेटियाँ।

परिचयसंजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा : आय टी आय
निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश)
व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “संकल्प शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित, भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता : शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच इंदौर (म.प्र.)
काव्य पाठ : काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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