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कौन हो चंदा?

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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चुप कैसे क्यों मौन हो चंदा,
या बतला दो कौन हो चंदा,
कभी मामा तुम बन जाते हो,
अंधियारा गुस्से में लाते हो,
हमें पता है बस इतना ही
कभी घटते कभी बढ़ जाते हो,
क्यों किसके पीछे पड़ जाते हो,
कोई कहते स्त्री और कोई पुरुष,
अमावस्या को हो जाते हो खड़ूस,
तारे क्या लगते हैं तेरे,
कोई कहता बलम हो मेरे,
किसी का मुखड़ा तुम्हारे जैसा,
कोई लूट रहा तेरे नाम से पैसा,
रात भर इतराते रहते हो
जब तक न हो जाये भोर,
खबर भी है तुमको क्या कुछ भी
चाह रहा कोई तुम्हें चकोर,
कभी कहलाते हो आफ़लब,
कभी दिखते हो सबको लाजवाब,
जंजालों से खुद को संभालते हो,
खुद को ग्रहण से निकालते हो,
जा सकता है कोई तुमसे पार,
पूछ रहा था एक दिलदार,
औलाद को कहे कोई चंदा सूरज,
बतलाओ किस किस की हो जरूरत।

परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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