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समय

उषाकिरण निर्मलकर
करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़)

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मन में चिंतन कीजिए, इसका कितना मोल।
व्यर्थ न जानें दीजिए, समय बड़ा अनमोल।।

आगत को सिर धारिए, सुख-दुख जो भी होय।
समय-समय का फेर है, आज हँसे कल रोय ।।

समय आज का कल बनें, कल बन जाये आज।
पहिया इसका चल रहा, यही काल सरताज।।

वापस ये आये नहीं, एक बार बित जाय।
मुठ्ठी रेत फिसल रही, हाथ मले रह जाय।।

अविरल ये धारा बहे, कोई रोक न पाय।
अगर समय ठहरा रहे, तो सब कुछ बह जाय।।

समय को गुरू जानिए, देता जीवन सीख।
कभी नीम सा स्वाद है, कभी मिठाये ईख।।

राजा रंक बना दिये, रंक बने धनवान।
मान समय का कीजिए, कहते संत-सुजान।।

परिचय :- उषाकिरण निर्मलकर
निवासी : करेली जिला- धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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