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अमूल्य रत्न ..

गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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अट्ठाईस दिसम्बर सन सैंतीस,
अवतरण नवल निकुंज,
बिखरा जननी सोनू के दामन,
अत्युत्तम प्रकाश पुंज।

उद्योग जगत क़े अमूल्य रत्न थे,
ये दानवीर रतन टाटा,
मानवार्थ रहते थे सदैव समर्पित,
भुला व्यापार में घाटा।

भारतीय उद्योग जगत का जग ने,
लोहा माना था सहर्ष,
सूई से लेकर हवाई जहाज तक,
भारत ने किया उत्कर्ष।

पायी शिक्षा स्नातक रतन ने,
कार्नेल विश्वविद्यालय से,
पचास मिलियन डालर दान की,
रख भाव हिमालय से।

कम मूल्य पर “टाटा नैनो” लाए,
हो उठे उपभोक्ता मगन
कर्मपथ पर चलकर ही बनता,
स्वर्णिम सबका जीवन।

अविवाहित रहना रतन जी का,
हर मन को खल गया,
शायद किसी की यादों में ही,
जीवन सारा निकल गया।

पदम् विभूषण, पद्म भूषण से,
अलंकृत थे रतन टाटा,
नैस्कॉम ग्लोबल लीडरशिप से,
शोभित रहे रतन टाटा।

नों अक्टूबर सन चौबीस को,
बीचकैंडी में हुआ देहांत,
आपका जाना छलता रहेगा,
जय हो करुणा के कांत।

परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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