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खाली आसमान

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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आसमान खाली है लेकिन,
धरती फिर भी डोले।
बढ़ती जाती बैचेनी भी,
हौले -हौले बोले।।

चले चांद की तानाशाही,
चुप रहते सब तारे।
रोती चाँदनी मुँह छिपाकर,
पीती आँसू खारे।।
डरते धरती के जुगनू भी,
कौन राज़ अब खोले।

जादू है जंतर -मंतर का,
उड़ें हवा गुब्बारे।
ताना बाना बस सपनों का,
झूठे होते नारे।।
जेब काटते सभी टैक्स भी,
नित्य बदलते चोले।

भूखे बैठे रहते घर में,
बाहर जल के लाले।
शिलान्यास की राजनीति में,
खोटों के दिल काले।।
त्रास दे रहे अपने भाई,
दिखने के बस भोले।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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