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बंद करो अब जयकार

गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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असत्य पर सत्य की विजय का, पर्व है दशहरा,
छूपा निज ह्रदय में रावण कहते गर्व है दशहरा।

जन-जन का अंर्तमन लगता, दशानन जैसा ही,
क्षण-क्षण पर छल-कपट करते रावण वैसा ही।

जला रहे सिर्फ़ पुतले असली रावण तो जिंदा है,
देख मनुज का दोगलापन लगे रावण शर्मिंदा है।

सत्य खड़ा पहरेदारी में, कैसे संभव होगा न्याय,
पाखंडी पग-पग प्रतिष्ठित, कैद हैं लाखों बेगुनाह।

कथनी-करनी का अंतर, स्पष्ठ दिखे कण-कण में,
बगुले-सा लिया रूप धर, विष भरा है तन-तन में।

निज ह्रदय बैठे रावण की बंद करो अब जयकार,
सत्य न्याय ईमान धर्म से, करो सुरभित ये संसार।

परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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