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वक्त की दिवार

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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वक्त की दिवार ने
कुछ ऐसा रोका
मानो आते-आते
तुफान रुक गया हो
वक्त का साथी
कोई नहीं होता।
बीच राह मे
छोड़ जाने के लिए।
अपना आत्म
बल साथ होता हैं।
वक्त की आवाज
दब जाती हैं
जीवन की
आपाधापी में
वक्त बढ़ता
जा रहा है
अपनी लीक पर
इन्सान का
मुंह चिढ़ाते हुए
उसे मूढ़ कहते हुए।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित व वर्तमान में राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर एवं लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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