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जाने आजाद कब होंगें

शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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ना जाने आजाद कब होंगें
जात-पात के झगड़ों से,
धर्म-धर्म के दंगों से,
जहर बुझे वाणी के तीरों से,
बढ़ते अपराधों से,

ना जाने आजाद कब होंगें,
बढ़ती बेरोजगारी से,
रूठ चुके अफसानों से,
भुखमरी, कालाबाजारी से,
टूट रहे अरमानों से,

ना जाने आजाद कब होंगें
बारूद की पहरेदारी से,
नफरत की चिंगारी से,
घोटालों- धांधली से,
भाषाओं की चार दीवारी से,

ना जाने आजाद कब होंगे
दहशत के अंगारों से,
धर्म के ठेकेदारों से,
मजहब की दीवारों से,
अंग्रेजी की गुलामी से,

ना जाने आजाद कब होंगे,
रंग नस्ल की बोली से,
रूढ़िवादी जंजीरों से,
जहरीली तकरीरों से,
क्षेत्रवाद की दीवारों से,
ना जाने आजाद कब होगें

परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “समाजसेवी अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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