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प्यारा सजा है दरबार

गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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गली-गली गूंजी मैया की, प्रेम भरी जय जयकार,
आई नवरात्रों की घड़ियां, प्यारा सजा है दरबार।

शेरावाली, मेहरावाली की, लीलाएं हैं अपरम्पार,
जो निर्मल मन जपे माता, छटे विपदाएं बेसुमार।

अप्रितम छवि मैय्या की, तन मन धन वारी जाऊं,
सदा करूं माँ का चिंतन, सदा ही माँ को में ध्याऊँ।

सौहार्द, समर्पण, भरा हुआ, होता है नवरात्रा पर्व,
मुखरित करें मानवता हम, त्याग छदम छल गर्व।

विविध भांति धर स्वरूप, दुष्टन का कियो संहार,
मैय्या से ही जीवंत जमी, मैय्या से ही यह संसार।

करे नमन सकल सृस्टि, जगजननी महारानी को,
करना क्षमा हुई मुझसे, भूल सभी अनजानी को।

परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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