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अनमोल उपहार … बेटियाँ

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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ईश्वर का अनमोल उपहार होती हैं बेटियाँ
जीवन का संगीत और संस्कृति होती है बेटियां।

दिलों को अंतहीन प्यार से भरने
प्रभु द्वारा भेजी हुई देवदूत होती हैं बेटियाँ।
शक्ति का प्रतिरूप बनकर, संघर्ष, साहस,
सहनशीलता की फुलवारी में महकती रहती है बेटियां।
सजता नहीं कोई घरौंदा बिना इनके
घर का साज-श्रृंगार, चमक होती है बेटियां!
जीवन मे भार नहीं जीवन का आधार होती हैं ये
बहुत ही खास होती हैं बेटियां।।

उड़ने दो इनको बांहें पसारे निर्द्वंद खुले आसमान में
सपनों को पूरा करने का हौसला रखती हैं यही बेटियां,
संदेह, डर, हिंसा, कि मत दो इनको बेड़ियाँ
नियमों को ममता के गीत से समझती हैं बेटियाँ।।

इनके जुनून, इनकी कमजोरी को संजो कर रखना होगा,
इनकी रौशनी को मंद नहीं होने देना होगा,
अविरत कल कल धारा सी बहती
कुरीतियों के तीव्र तूफ़ानों से लड़कर
समाज को सन्मार्ग दिखाती हैं बेटियाँ।।

सहेज लें इनको हम अपनी संस्कृति और संस्कारों से,
वर्ना अस्तित्व विहीन हो जाएगी ये सृष्टि,
जानें कितनी परियों ने मिलकर निवेदन किया होगा ईश्वर से,
तभी तो उसने प्रकृति को सौपी हैं ये बेटियां।।

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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