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गोष्ठी बुखार

विजय गुप्ता “मुन्ना”
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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एक काव्य गोष्ठी में पिछले दिनों एक कवि मुख से उच्चारित हुआ, गोष्ठी से कुछ बुखार कम हो जाता है। विजय गुप्ता ने इस भाव को काव्य सूत्र में ताटंक छंद विधा में सृजित किया।

कवि लेखक अपने चिंतन से, चाल चलन दरशाता है
संभव समर्थ समाधान तक, कलम खूब चलवाता है।
जनता सत्ता आइना देखे, साधक बनकर गाता है।
फिर गोष्ठी हलचल होने में, बुखार कम वो पाता है।

कवित्व गुण का आधार यही, कई विधा का संगम हो।
सृजन सेवा साधना तीर, से कुपथ्य का निर्गम हो।
विवाद आंकड़े बने जमघट, कई वर्ग से उदगम हो।
दशा दिशा के नेक तर्क में, फूहड़ बोली आलम हो।
कविता धारा अब बहे कहां, उत्थान जहां गिराता है।
कहने सुनने युग गुजर चुका, काव्य शोर मचाता है।
कवि लेखक अपने चिंतन से, चाल चलन दरशाता है।
संभव समर्थ समाधान तक, कलम खूब चलवाता है।

आचार्यद्रोण शिक्षा समान, अलग सोच सही नजरिया
जहां अर्जुन नजर ने देखा, नयन छाया चलित पहिया
सही तीर से सही निशाना, सम्मान विकास का जरिया
क्या ही मिलते बढ़िया सारे, हर समूह छाए घटिया।
बुद्धिबल साहस मां की कलम, करतब ही करवाता है
यूं ना बन जाते कवि हृदय, माखन ’दिनकर’ नाता है।
कवि लेखक अपने चिंतन से, चाल चलन दरशाता है।
संभव समर्थ समाधान तक, कलम खूब चलवाता है।

शब्दचयन भाव कलाशैली, प्रस्तुति का तड़का लगना
’तारीफ करूं क्या उसकी’ ये, गीतगान को लय मिलना
रफी बिहारी दोनो का फिर, नवयुग परवाज निखरना।
निहित गीत में शब्द तारीफ, अलग अंदाज से कहना।
रचित काव्य प्रस्तुति सार्थक, माथे पे बल लाता है।
कौशल बिंब दिखाने खातिर, संजीवनी खिलाता है।
कवि लेखक अपने चिंतन से, चाल चलन दरशाता है।
संभव समर्थ समाधान तक, कलम खूब चलवाता है।

राजनीति के दंगल में अब, सबकी भूख विशेष बनी
राष्ट्र चिंता ही तजकर अब, भ्रष्टाचार की फसल तनी
हिंसा द्वेष नफरत विरोधी, देखो गुट में खूब ठनी
निज राष्ट्र से धोखा करने, सृजन पथ के नागफनी
तुलसी कबीर रसखान सूर, प्रगति राह दिखलाता है
अंधानुकरण विरासत देख, दीन हीन कवि गाता है।
कवि लेखक अपने चिंतन से, चाल चलन दरशाता है
संभव समर्थ समाधान तक, कलम खूब चलवाता है

कवि लेखक अपने चिंतन से, चाल चलन दरशाता है
संभव समर्थ समाधान तक, कलम खूब चलवाता है
जनता सत्ता आइना देखे, साधक बनकर गाता है
फिर गोष्ठी हलचल होने से, बुखार कम वो पाता है।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता “मुन्ना”
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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