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गजानंद स्वामी

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी,
तोरेच गुन ल गावत हँव
सजे सिहासन आके बइठो,
पँवरी म माथ नवावंत हँव !!

हे गणपति, गणनायक स्वामी,
महिमा तोर बड़ भारी हे
माथ म मोर मुकुट सजत हे,
मुसवा तोर सवारी हे !!
साँझा बिहिनिया करौव आरती,
लाड़ु भोग लगावंत हँव
सजे सिहासन आके बइठो,
पँवरी म माथ नवावंत हँव !!

माता हवय तोर पारबती
अउ पिता हवय बम भोला
दिन दुखियन के लाज रखौ,
बिनती करत हँव तोला !!
पान, फूल अउ नरियर भेला,
मै हर तोला चघावंत हँव
सजे सिहासन आके बइठो,
पँवरी म माथ नवावंत हँव !!

अंधरा ल अखीयन देथस
अउ बाँझन ल पुत देवइयां
बल, बुद्धी के तै हर दाता,
सबके बिगड़े काम बनइयां ।।
हे गणराज, गजानंद स्वामी
मै हर तोला मनावंत हँव
सजे सिहासन आके बइठो,
पँवरी म माथ नवावंत हँव !!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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