अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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जोर जबरदस्ती बेटी सँग,
जो करते वे पापी।
जो विरोध ना करें पाप का,
वे पक्के संतापी।
भरा विकार हृदय में जिनके,
भरी गंदगी मन में।
ऐसे पापी अधम काम ही,
करते हैं जीवन में।
है दिमाग में विकृति जिनके,
वे हैं पापाचारी।
औरों को पीड़ा पहुँचाना,
है उनकी बीमारी।
नर पिशाच शैतान सड़क पर,
खुला तांडव करते।
शील हरण करके बहनों का,
भय अंतस में भरते।
बीच राह बेटी की अस्मत,
लूट रहे हत्यारे।
घटना देख बोल ना पाते,
हम कितने बेचारे?
कब तक जुल्म सहेगी बेटी,
कोई तो बतलाओ?
खून गर्म,जिंदा दिल बालो,
जरा शर्म तो खाओ।
खून जल गया है हम सब का,
कायरता है मन में।
मौत हो गई है हम सब की,
बचा न कुछ जीवन में।
कायर बन, जीवन जीने से,
अच्छा है मर जाना।
पाप देखने से अच्छा है,
कालकूट बिष खाना।
माता-पिता अधर्मी इनके,
पापी हैं संतानें।
जिनके घर में जन्में पापी,
केवल पाप कमानें।
दोषी माता-पिता बराबर,
जिसने इनको जाया।
हर बेटी है बहन बराबर,
कभी नहीं समझाया।
क्यों ना हुई बाँझ वह माता,
जिसने जन्मा पापी।
बचपन से समझाया होता,
बनता वही प्रतापी।
हाथ काट लो उस पापी के,
जिसने पाप किया है।
जिसने होनहार बेटी का,
जीवन छीन लिया है।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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