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कहाँ है आजादी

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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ये कैसी आज़ादी है?
जहां हमें तो कोई आज़ादी ही नहीं है,
कदम-कदम पर अंकुश है
नियमों की बंदिशें, कानूनों का डर है
अपराध, हिंसा की न छूट है
साम्प्रदायिक दंगा फैलाने की भी कहाँ आज़ादी है?
लूटमार, हत्या, बलात्कार की बात क्या करें
भ्रष्टाचार, बेईमानी और धोखाधड़ी की भी
तो तनिक न छूट है।
सब कहते हैं देश शहीदों की शहादत से मिला है,
तो भला इसमें मेरा क्या दोष है?
उन्हें शहीद होने का कीड़ा कुलबुलाया था
पर शहीद होकर भला क्या पाया था,
कौन याद करता है आज उन्हें
ईमानदारी से कोई तो बताए हमें।
वे सब सिर्फ़ औपचारिकता वश ही याद किए जाते,
बहुत हुआ तो पुतला बनाकर खड़े कर दिए जाते हैं
सौ दो सो मीटर जगह घेरने के अलावा
सिर्फ धूल-धक्कड़ से नहाते हैं ,
जाड़ा, गर्मी, बरसात सहकर हर समय तने रहते हैं,
हमें लगता वे अभी तक शहीद होने के गुमान में हैं
अक्सर राजनीति के खेल में भी फँस जाते हैं।
क्या मिल गया उन्हें घर परिवार को रुलाकर
बीबी को विधवा और बच्चों को अनाथ कर
उनकी अकेले की शहादत से ही तो
देश आज़ाद नहीं हो हुआ
वो अपना बलिदान न भी देते
तो क्या देश आज़ाद नहीं होता?
आखिर उनका क्या बिगड़ जाता?
जब देश गुलाम था तो ही ठीक था
कम-से-कम हमें पता तो था कि हम गुलाम हैं
अंग्रेज़ों के रहम-ओ-करम पर जी रहे हैं
जब आज़ाद नहीं थे तो कौन सा मरे जा रहे थे?
जो आज जी रहे हैं
आज़ाद होकर भी हम कौन सा तीर मार रहे हैं?
आखिर हम आज़ाद कहाँ है?
और यदि हैं तो कुछ भी करने की
हमें आज़ादी क्यों नहीं है?
फिर कैसे कह दें कि हम आज़ाद हैं?
आज़ादी के नाम पर नियम-कानून मर्यादाओं के
मकड़जाल में फँसे हैं
आज़ादी के नाम पर सिर्फ़ फड़फड़ा रहे हैं
महज औपचारिकतावश हम आज़ाद हैं
बस! बेमन से ही मान रहे हैं।
तभी तो आज तक हम भी स्वतंत्रता दिवस
यूं ही सही मनाते तो आ रहे हैं।
और आगे भी मनाते ही रहेंगे,
आप सब के साथ-साथ
आज़ादी के नाम पर गीत गाते रहेंगे
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम्
सारी दुनिया को सुनाते रहेंगे,
माँ भारती को शीश झुका
अपना प्यारा तिरंगा फहराते रहेंगे,
हम भी आजाद हैं दुनिया को बताते रहेंगे
जय हिन्द, जय भारत, वंदेमातरम् दोहराते रहेंगे।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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