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दिलवाले बहुजन

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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गा खेल कूद या नाच,
भरपूर समय है तुम्हारे पास,
जगराता कर, उपवास रह
या महीने भर कांवड़ उठा,
मस्तिष्क में सिर्फ इसी बात को बिठा,
यहीं सब तो कर सकते हो,
यहीं तो सबसे महत्वपूर्ण
प्रतियोगी परीक्षाएं हैं,
पूरे समाज को यहीं सब करने की
आपसे अपेक्षाएं हैं,
बरसते फूलों का आनंद लीजिए,
घोर आस्थावान होने का परिचय दीजिए,
पढ़ाई लिखाई की क्या जरूरत है,
देखो भंडारे कराने की कब मुहूरत है,
डॉक्टर, इंजीनियर,कलेक्टर,
या कोई भी नौकरी करने की,
वकील, न्यायाधीश बनने की,
बताओ भला आवश्यकता ही क्यों है,
खुश रहो भले मानुषों
प्राचीन काल से तुम्हारी स्थिति
ज्यों की त्यों है,
बिजिनेस करने, धंधा करने,
विधायक, सांसद, मंत्री बनने,
या सत्ता हासिल करने का
झंझट भूलकर भी मत लेना,
देने वालों में से हो
हमेशा दूसरों को ही अपना हिस्सा देना,
दिलवाले बहुजन हो,
हमें गर्व है और हमेशा रहेगा आप पर।

परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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