प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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बढ़ती जब जनसंख्या, बढ़ता है तब भार।
हो जाती हर योजना, तब निश्चित बेकार।।
बढ़ता है जन भार जब, दुख पाता परिवार।
सभी तरह से देश में, फैले तब अँधियार।।
दोपहिया पर बैठ जब, एक साथ परिवार।
कहे सुरक्षा आ रहा, दुर्घटना का वार।।
ध्यान रखें जो वे रहें, सड़कों पर अनुकूल।
बिना कायदे जो रहें, चुभते उनको शूल।।
सड़कों पर खिलवाड़ तो, लेती जीवन लील।
बहुत कीमती ज़िन्दगी, करो ज़रा तुम फील।।
लापरवाही त्याग दो, वरना तय है काल।
होगा तुमको हर कदम, वरना “शरद” मलाल।।
नियम सदा हित को रचें, उन्हें मान नहिं व्यर्थ।
डरो रोड कानून से, समझो उसका अर्थ।।
मन में धरकर जोश तुम, गँवा न देना होश।
वरना विधि या मौत तो, भर लेंगी आगोश।।
होगा जब सीमित यहाँ, हर इक का परिवार।
तभी प्रखर प्रतिकूलता, का होगा संहार।।
दोपहिया की नहिं अधिक, होती है औकात।
दो ही बैठेंगे अगर, बचे रहोगे तात।।
अर्थहीन गति-मति तजो, जाये वरना जान।
आंँसू की सौगात हो, बढ़े पीर का मान।।
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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