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आपको इश्क हो गया है …

रागिनी सिंह परिहार
रीवा (मध्य प्रदेश)
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जब किसी के पास अच्छा लगने लगे
जब किसी का साथ अच्छा लगने लगे
जब किसी की बाते अच्छी लगने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब किसी की खामोशी खलने लगे
जब किसी के अल्फाज सताने लगे
जब नजर की नजर से बात होने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब किसी के आने से फर्क पड़ने लगे
जब किसी के जाने से डर लगने लगे
जब किसी के ठहरने का इंतजार होने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब किसी के पास आने से हलचल होने लगे
जब किसी के छूने से जज्बात मचलने लगे
जब किसी के होंठों से शबाब झलकने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब किसी की बातें हंसाने लगे
जब किसी की यादें रुलाने लगे
जब किसी का ख्वाब आने लगे
तो समझ लेना आपकों इश्क हो गया।

जब अपने पराए लगने लगे
जब पराए अपने लगने लगे
जब मां-बाप की बातें चुभने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब सही गलत लगने लगे
जब गलत सही लगे लगे
जब सारी दुनिया झूठी लगने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब कही भी मन न लगे
जब ध्यान विचलित होने लगे
जब मैसेज का इंतजार होने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब जिंदगी खूबसूरत लगने लगे
जब लम्हे हंसी लगने लगे
जब चांद तारों से बात होने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब सांसे मध्यम-मध्यम रुकने लगे
जब धड़कने आपकी बढ़ने लगे
जब प्यास आपकी जगने लगे
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

जब आपके फासले मिटने लगे
जब कोइ धीरे-धीरे क़रीब आने लगे
जब दिल की बात होंठों तक आने लगें
तो समझ लेना आपको इश्क हो गया।

परिचय :- रागिनी सिंह परिहार
जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१
पिता : रमाकंत सिंह
माता : ऊषा सिंह
पति : सचिन देव सिंह
निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०१८” से सम्मानित
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी साहित्य, पी.एचडी अध्ययनरत


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