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सीढ़ी

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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सीढ़ी पर चढ़कर
ढूंढ़ता हूँ
बादलों में छुपे चाँद को
पकड़ना चाहता हूँ
चंदा मामा को
बचपन में दिलों दिमाग
में समाया था।

लोरियों, कहानियों में
रचा बसा था
माँ से पूछा की चंदा मामा
अपने घर कब आएंगे
ये तो बस तारों के संग ही रहते है
ये स्कूल भी जाते या नहीं
अमावस्या को इनके
स्कूल की छुट्टी होगी।

तभी तो ये दिखते नहीं
माँ ने आज खीर बनाई
इसलिए मामा को
खाने पर बुलाने के लिए
सीढ़ियों पर चढ़ कर देखा
मामा का घर तो बहुत दूर है।

इसलिए माँ सच कहती थी
चंदा मामा दूर के पोहे पकाए …..
बड़ा हो के रॉकेट से
चन्द्रमा पर जाऊंगा
जैसे गए थे निल आर्मस्ट्रांग
तब माँ के हाथो की बनी
खीर का न्यौता अवश्य दूंगा।

परिचयसंजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा : आय टी आय
निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश)
व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “संकल्प शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित, भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता : शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच इंदौर (म.प्र.)
काव्य पाठ : काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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