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समय-रिश्ते-दोस्ती

गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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समय
समय पवन का झोंका-सा,
पल-पल बदले रूख़,
साथ अग़र समय का मिले,
हर क्षण सुख ही सुख।
समय साथ जब छोड़ता है,
पार्थ पत्थर बन जाता,
जिसने समझा समय को,
बन चांद वह मुस्कराता।।

रिश्ते
होते रिश्ते फूल से कोमल
ऱखना सदा संभालकर,
तोड़ न देना बिन समझे,
वहम का कीच उछालकर।
रिश्तों से ही धरती पर,
अमन चैन सदभाव जीवंत ,
जो होते न ग़र रिश्ते-नाते,
पशुता पसरी होती दिगंत।।

दोस्ती
है अगर दोस्ती सच्ची,
रिश्ता भाई-भाई का फीका,
मुहं न मोड़े मुश्किलों में,
बताता हितकारी सलीका।
श्रीकृष्ण-सुदामा-सी दोस्ती,
मुमकिन कहां जग में,
मुहँ पर तो मिश्री-सी वाणी,
छल-छदम भरा रग में।।

परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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