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राम ही दाता-विधाता

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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धन्य देखो भाग्य कुटिया,
हैं पधारे आज राम।
भक्त है शबरी प्रभो की,
नित्य जपती राम नाम।।

राम ही दाता विधाता,
राम हैं भगवान प्रान।
हैं सखा भक्तन सदा ही,
राम महिमा देख जान।।
राम ही संसार मेरे,
राम का कर ध्यान मान।
थामते हैं हाथ सबका,
राम हैं अवतार भान।।
दास सारा जग गुणों की,
खान स्वामी राम धाम।

राम ही तो आस अब हैं,
पार हमको दे उतार।
धर्म ही खुद राम प्रभु हैं,
कर्म हैं राघव पुकार।।
बढ़ गए दुख हैं धरा पर,
नाथ अब तू दे उबार।
हे अवध स्वामी निराले,
देख वो दशरथ कुमार।।
नाम उनका जापिए नर,
नार साधो.आठ याम।

जब कृपा होती प्रभो की,
देख खुलते बंद द्वार।
राम दें वरदान सुख का,
राम ही हैं गंग धार।।
राम तारणहार पालें,
सृष्टि जानो धर्म सार।
लोक नायक हैं प्रजा को,
राम देते नेह हार।।
राम जीवन लक्ष्य रक्षक,
हैं करें सब पूर्ण काम।

राम ही धन दौलतें हैं,
राम ही हैं ब्रह्म ज्ञान।
हैं अखिल ब्रह्मांड रघुवर,
प्रभु रचें जग के विधान।।
राम को वंदन नमन है,
राम हैं जगपति सुजान।
हैं कृपाला राम राजा,
हैं बड़े रघुपति महान।।
जगनियन्ता राम राघव,
जोड़ कर तुमको प्रणाम।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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