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नशामुक्ति पर दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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करता नशा विनाश है, समझ लीजिए शाप।
ख़ुद आमंत्रित कर रहे, आप आज अभिशाप।।

नशा बड़ी इक पीर है, लिए अनेकों रोग।
फिर भी उसको भोगते, देखो मूरख लोग।।

नशा करे अवसान नित, जीवन का है अंत।
फिर भी उससे हैं जुड़े, पढ़े-लिखे औ’ संत।।

मत खोना तुम ज़िन्दगी, जीवन सुख का योग ।
मदिरा, जर्दा को समझ, खड़े सामने रोग।।

नशा मौत का स्वर समझ, जाग अभी तू जाग।
कब तक गायेगा युँ ही, तू अविवेकी राग।।

नशा आर्थिक क्षति करे, तन-मन का संहार।
सँभल जाइए आप सब, वरना है अँधियार।।

नशा लीलता हर खुशी, मारे सब आनंद।
आप कसम ले लीजिए, नशा करेंगे बंद।।

नशा नरक का द्वार है, खोलो बंदे नैन।
वरना तुम पछताओगे, खोकर सारा चैन।।

नशा मारकर चेतना, लाता है अविवेक।
नशा धारता है नहीं, कभी इरादे नेक।।

नशा व्याधि है, लत बुरी, नशा असंगत रोग।
तन-मन-धन पर वार कर, लाता ग़म का योग।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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