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फादर्स डे

डॉ. सोनू चौधरी
करनाल जिला- झुंझुनूं (राजस्थान)
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आओ सखी अंधेरे में पड़े
तुमको दादाजी दिखलाऊ मैं,
छत है पापा तो “नींव का पत्थर”
दादाजी को बतलाऊ मैं !

आवाज़ होती पापा घर की
तो दादाजी सिंह की दहाड़ हैं,
रक्षक होते पापा घर के,
तो दादाजी हिमालय पहाड़ हैं !
पापा घर की चार दिवारी,
तो दादाजी काटों वाली बाड़ हैं,
दुःख दर्दों को खाने वाली
ये दोनों ऊपर नीचे की जाड़ है,
इन दोनों के होते क्यों घर
में सी.सी. टीवी लगवाऊ मैं!

आओ सखी अंधेरे में पड़े
तुमको दादाजी दिखलाऊ मैं,
छत है पापा तो “नींव का पत्थर”
दादाजी को बतलाऊ मैं !

खुद बिक के भी अरमां पुरे
करू ऐसा इनका इरादा है,
अजब रिश्ते ये गलती पर
मारे कम और गिनते ज्यादा हैं !
दिल मानु पापा को तो सांसो
की डोरी मेरी अमृत दादा हैं,
सारे तीर्थ इनमें हैं मेरे चाहे
काशी, मथुरा और काबा हैं,
फिर इन दोनों को छोड़ क्यों
तिसरी जगह शीश झुकाऊ मैं!

आओ सखी अंधेरे में पड़े
तुमको दादाजी दिखलाऊ मैं,
छत है पापा तो “नींव का पत्थर”
दादाजी को बतलाऊ मैं !

क्या तुने कभी
दादाजी पर भी लिखा है,
मूर्ख पापा ने जीना
दादाजी से ही सिखा है!

परिचय :- डॉ. सोनू चौधरी 
पिता : श्री सुरेन्द्र सिंह (श्री अमृत सिंह) चौधरी 
निवास : पीपल का बास करनाल जिला- झुंझुनूं (राजस्थान
)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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