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थोड़ा अलग हूँ

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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हाँ मैं थोड़ा हट कर हूँ,
क्युकी थोड़ा अलग हूँ!
अंदर से टूटे होकर भी
चेहरे पर मुस्कान
लिए फिरती हूँ,
लाखों अनसुलझे
सवाल हैं पर
मौन हो सब गुनती हूं
थोड़ा तो सबसे अलग हूँ!!
थोड़ा उलझी सी हूँ,
सपनों की उमंग
आज भी लिए फिरती हूँ
उनको पूरा करने की
जिद की तमन्ना रखती हूँ
थोड़ा अलग हूँ!!

बेपरवाह लोगों की
परवाह करती हूँ
आज तक जो ना
समझ पाए लोग
उनको समझने की
कोशिश करती हूँ
अपमान बार बार किए
लोगों का भी सम्मान करती हूँ,
रिश्तों में श्रद्धा रखती हूँ
शायद इसीलिये
थोड़ा तो अलग हूँ!!
जीवों से प्यार करती हूँ
उनकी परवाह करती हूँ ,
लोग अक्सर पूछते हैं
ये बोलते तो नहीं
फिर कैसे इनकी जरूरतें
पूरा कर पाती हूँ??
इनकी मासूमियत में
लाखों सवाल जवाब छिपे हैं
इनके प्रति दुत्कार
और तिरस्कार के,
जिनको मैं स्नेह और
ममता की परिभाषा
से समझ पाती हूँ,
इनका सुख दुःख
भी बांट लेती हूँ
थोड़ी पागल सी हूँ
क्यों कि इनसे बेइंतहा
प्यार करती हूँ !!
प्रकृति से लगाव है बहुत!
उस की परवाह करती हूँ!!
अभिलाषाओं की तस्वीरें
जो धूमिल पड़ गई हैं
उनमे पुनः नए रंग भरती हूँ!
कुछ अधूरी ख्वाहिशों को
पूरा करने का हौसला रखती हूँ !
हर निशा के बाद भोर की
नई सुबह आती हैं!!
इसी उम्मीद से सपनों
को जिंदा रखती हूँ!!
सत्कर्म ही धर्म है इस सोच से
इन्सानियत को नमन करती हूँ!
हा मैं थोड़ा अलग सी हूँ
क्योंकि सबसे थोड़ा हट के हूँ !!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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