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संघर्ष

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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 दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य के अभाव में उपजी परिस्थितियों के चलते लीला को अपनी बच्ची के लिए घर छोड़कर निकलना पड़ा।
बच्ची को साथ लेकर वह अपनी एक सहेली रमा के घर पहुंची, और अपनी पीड़ा कहते हुए रो पड़ी। रमा ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा कि जब तक उसके रहने का प्रबंध नहीं हो जाता तब तक वह यहीं रहे। उसने पति से कहा कि लीला के लिए काम का प्रयास करें। कई दिनों के प्रयासों के बाद रमा के पति के माध्यम से लीला को काम तो मिल गया। पति से बात करके रमा ने लीला को अपने ही घर में एक कमरा रहने के लिए दे दिया। लीला की बच्ची छोटी थी, इसलिए उसने ना नुकूर भी नहीं किया। वैसे भी अभी उसके हाथ में इतने पैसे भी नहीं है कि वो कहीं अलग कमरा लेकर रह सके।
शुरुआती संघर्ष के बाद पढ़ी लिखी लीला के काम से उसके मालिक इतना प्रसन्न थे कि उसकी पगार बढ़ गई। उसका और उसकी बच्ची का निर्वाह अच्छे से होने लगा। उसने बेटी का एडमिशन करा दिया। अब लीला का एक अदद लक्ष्य बेटी का भविष्य था। एक दिन उसने रमा से कहीं अलग कमरा लेने की बात कही, तो रमा ने उसे समझाया, फिलहाल तो हमें तेरे रहने से हमें कोई असुविधा नहीं है, हां! तुझे हो रही हो तो और बात है। लेकिन तुम दोनों की सुरक्षा की खातिर मैं ऐसा नहीं चाहती।
तुम्हारी बात ठीक है, लेकिन तुम दोनों ने जो मेरे संघर्ष के दिनों में मेरा साथ दिया, उसका एहसान मैं कभी नहीं भूल सकती।
तभी रमा का पति आ गया, रमा ने अपने पति से पूरी बात बताई, तो उसके पति ने कहा – वैसे तो तुम स्वतंत्र हो, और मैं अधिकार पूर्वक तुमसे कुछ नहीं कह सकता, तुम रमा की सहेली हो, इसलिए नैतिक, मानवीय रूप से मैं अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करने की कोशिश जरूर कर रहा हूँ, लेकिन अब जब तुमने जाने का निर्णय कर ही लिया है, तब तुम्हें आश्वस्त करता हूँ कि जब भी हम दोनों की जरूरत हो, बेहिचक कह करना। विश्वास रखो कि तुम्हें निराश नहीं होना पड़ेगा। लीला हाथ जोड़कर रो पड़ी।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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