गोपाल मोहन मिश्र
लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार)
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● प्यार के नाम पर देशभर में हो रहा है लव जिहाद
● नाम बदलकर लड़कियों को फंसाया जा रहा है
● अनजान लोगों पर विश्वास करना पड़ सकता है भारी
● सावधान कहीं आपकी बेटी भी धोखे का शिकार न हो जाए !
सही गलत का फैसला तो वक्त करता है, किंतु प्रेम विवाह में असली संकट अंतर्जातीय-अंतरर्धार्मिक विवाह की समस्या होती है। वर्तमान में भारत में दो तरह के विवाह होते है – पहला – (कास्ट) जाति आधारित, जिसमें जाति का बहुत महत्व होता है, दूसरा- इसमें जाति-धर्म का महत्व, गौण होता है – क्लास (श्रेणी) आधारित। दिनानूदिन एलीट क्लास आधारित विवाह बढ़ते ही जा रहे हैं।
● भारत में आमलोग जाति आधारित विवाह करते हैं और अपने को एलीट समझने वाले लोग क्लास आधारित।
● किंतु समस्या तब हो जाती है, जब कोई दोनों नाव की सवारी करने का प्रयास करता है।
● अतीत में भारत में लड़कियों को वर चुनने की आजादी थी, किंतु बाद के काल में यह व्यवस्था बंद हो गयी है और नई व्यस्था में भी पिछले १५-२० वर्षों से काफी दरारें आ गयी हैं। किंतु अभी भी इसकी जड़ें बहुत गहरी है, किंतु दरारें साफ दिख रहे हैं। अब देखते हैं कि ये दरार लानेवालों का भविष्य कैसा रहता है, क्योंकि काल धीमे-धीमे सब छीन लेता है। जवानी का जोश भी और नए आये पैसे का रौब भी। तब बढ़ती उम्र, परिवार और समाज को अधिक महत्व देने लगती है, ऐसे में स्थिति जटिल हो जाती है।
● आजकल एक नई बात चली है कि शादी से पहले एक दूसरे को जान लेना चाहिए। ये तो बड़ी अजीब बात है, क्योंकि जीवन मे परिस्थिति बदलती रहती है और हर परिस्थिति में अलग-अलग व्यक्ति अलग व्यवहार करते हैं। अविवाहित व्यक्ति से मिलकर आप उसके विवाहित होने के बाद के व्यवहार का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। आप को कुछ बातों को काल के हवाले करना ही होगा और टॉलरेंस लानी ही होगी।
● शादी विशुद्ध रूप से एक सामाजिक बंधन है। आजकल कुछ अजीब सा पागलपन चला है यह कहने का कि लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद होने चाहिए। परिवार और समाज का क्या? मुझे यह बिल्कुल समझ नहीं आता, एक मध्यम वर्गीय परिवार का होने के कारण। मेरे लिए समाज और परिवार दोनों की सहमति जरूरी है। लड़का-लड़की में पसंद शब्द के वजाय आपसी सामंजस्य शब्द प्रयोग होना चाहिए, क्योंकि समय के साथ पसंद को नापसंद बनना ही होता है, तब सामंजस्य ही आप के रिश्ते को बचाने आता है।
● आप जो भी करे उसका परिणाम भी आप को ही झेलना होगा, किंतु परिवार और समाज को आँखें दिखाकर यह करने की जरूरत नहीं है। आपको इस काम के लिए किसी इतिहास की किताब में क्रांतिकारी के रूप में नहीं छापा जाएगा, इसलिये परिवार के श्रेष्ठजनों के सामन्जस्य और सहमति की सवारी करें, वह आप के जीवन की नाव को जरूर पार लगा देंगे।
विवाह सुरीति है:-
● यदि वह परिवार की सहमति से किया जा रहा है।
● यदि वह बिना किसी दिखावे के सादगीपूर्ण ढंग से, पैसा बर्बाद न करते हुए किया जा रहा है।
● प्रेम विवाह यदि परिवार की सहमति से किया गया है।
● प्रेम विवाह किसी कोने में न छुपकर, यदि अदालत या आर्य समाज रीति या अन्य किसी ऐसी रीति से किया गया हो, जिसके साक्ष्य उपलब्ध हों।
आधुनिक युवा विवाह को लेकर हमेशा दुविधा में रहता है। समस्या यह है कि वह विवाह के सारे सुख तो भोगना चाहता है, परंतु विवाह की जिम्मेदारियों से बचना चाहता है। इसलिए कुछ समय पहले आयातित विचार .… “लिव इन रिलेशनशिप” युवाओं को बहुत भाया। इससे उन्हें विवाह के फायदे मिले, वो भी अपनी स्वतंत्रता खोए बिना (जो दरअसल में स्वतन्त्रता नहीं, उच्छृंखलता है)। लेकिन अब इसके लिए भी सरकार ने कड़ा कानून बना दिया है।
*एक सच्चा उदाहरण*
एक महिला पत्रकार की आपबीती, “मैं सचमुच सब कुछ छोड़ कर आई थी।” अंतरर्धार्मिक विवाह करना कितना कठिन होता है, यह बताते हुए कहती हैं, “पुलिस से निपटी, अपने परिवार से दूर हो गई । लेकिन हम दोनों अपनी बात पर अड़े रहे और जल्द ही शादी कर ली। हालांकि बाद में हमारे रिश्ते में भर्बल और फिजिकल एब्यूज की खटास आ गई। हमारा विवाह, जो कभी आपसी प्रेम और बगावत का पैमाना था, अब नियमित हिंसा में उलझ कर रह गया। उस पत्रकार ने बताया, “मैं रात में जाग जाती थी और रोना शुरू कर देती थी। मैं सोचती कि कोई भी ऐसा नहीं है, जिसे मैं अपना दोस्त या समाज कह सकती हूँ?” कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा और एक दिन न्यूज़ आई कि उसकी बॉडी के ३६ टुकड़े करके एक पार्क में फेंका मिला।
बहुत से लोग जिन्होंने अपने अंतर्जातीय या अंतरर्धार्मिक विवाहों को पंजीकृत कराया और पुलिस सुरक्षा की मांग की, उन्होंने पाया कि इस प्रक्रिया में उन्हें उत्पीड़न और बदनामी का सामना करना पड़ा। इसलिए जब इन विवाहों के भीतर दुर्व्यवहार होता है, तब इस कठोर व्यवस्था के पास फिर से जाने का विचार कठिन लगता है I
आखिर में :- मेरा मानना है कि अंतर्जातीय विवाह और अंतर्धार्मिक विवाह आधुनिकता, उन्नति का प्रतीक नहीं है, बल्कि मानसिक अवनति का प्रतीक हैI जो ऐसा कर रहे हैं या जो इसका समर्थन कर रहे हैं, वे *तथाकथित एलीट क्लास* के लोग पारिवारिक और सामाजिक अराजकता फैला रहे हैंI
निवासी : लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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