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आओ धरती का श्रृंगार करें

महेन्द्र साहू “खलारीवाला”
गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़)
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कब तक जंगल काटोगे?
चंद सिक्कों के लालच में।
कब तक जहर बाँटोगे?
चंद रूपयों के लालच में।।

काट रहे हो हरियाली,
बना रहे हो बंजर धरती।
अन्न कहाँ से पाओगे?
बिन पानी खेती परती।।

तुम्हारे घर भी जलेंगे,
उस सूरज की तपिश में।
तुम्हारे श्वांस भी रुकेंगे,
जीवन की खलिश में।।

क्या तेरे दर आँच न आएगी?
तेरा मकां भी है इसी शहर में।
ढह जाएगा तेरा भी घर,
उस कुदरत के कहर में।।

तप रही है सारी धरती,
तप रहा सारा आकाश।
समय रहते हों सचेत,
वरना होगा महाविनाश।।

जब तरु ही न रहेंगे भू पर,
वर्षा कहाँ से आएगी ?
बिन छाया, बिन पानी,
धरती तब थर्रायेगी।।

आओ धरती का श्रृंगार करें,
मिलकर पेड़ लगाएँ हम।
हरी-भरी हो धरा हमारी,
जीवन सफल बनाएँ हम।।

परिचय :-  महेन्द्र साहू “खलारीवाला”
निवासी –  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।



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