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जीवन के लिए प्रकृति का सुरक्षित होना जरूरी

डॉ. राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित”
भवानीमंडी (राजस्थान)
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 ०५ जून को हम साल २०२४ का विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। इस दिन पर्यावरण के प्रति आम जनता को जागरूक किया जता है। अधिक से अधिक पेड़ लगाना। पौधरोपण करना। पेड़ों के ट्री गार्ड लगाना। वन भूमि को हरी भरी करने हेतु नरेगा मजदूरों को लगाया जाता है व गड्ढे खोदकर पेड़ लगाते हैं। पेड़ की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड या तार फेंसिंग करते हैं। सभी उपस्थित लोग शपथ लेते है कि इन पेड़ों की हम नियमित देखभाल कर इन्हें संरक्षित रखेंगे। बड़ी-बड़ी बैठकों में बढ़ते प्रदूषण के प्रति चिन्ता जताई जाती है। प्रकृति का संतुलन बना रहे इस हेतु आगामी रणनीति बनाई जाती है। धरती के बढ़ते तापमान का कारण खोजते हैं। घण्टों मंथन चलता है। पर्यावरण बचाने से सम्बंधित नारे दीवारों पर लिखाये जाते हैं। विद्यालयों में निबंध वाद विवाद स्लोगन लेखन कविता लेखन जैसी प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है।
जीवन जीने के लिए यह जरूरी है कि हम प्रकृति को बचाएं। अपने परिवेश में हरियाली बनाए रखें। फलदार छायादार पेड़ लगाएं। पेड़ प्रकृति का उपहार है। इसका जन जन को महत्व समझाएं। पेड़ों के कारण ही हम फ्रेश एअर ले पाते हैं। पुराने जमाने से ही घर मे आंवला तुलसी नीम को लगाकर उनकी पूजन विधि पूर्वक करने का विधान है।
वर्तमान में प्रकृति का स्तर दिनोदिन गिरता जा रहा है। आने वाला समय कितना चुनोती पूर्ण होगा यह समय बताएगा। गर्मी इस तरह बढ़ रही है कि लोगों को साफ और सुरक्षित वायु नहीं मिल रही है। प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। वाहनों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। विकास की आड़ में लाखों पेड़ सड़कें चौड़ीकरण के नाम पर काटे जा रहे हैं।
पर्यावरण का अर्थ है सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश ही पर्यावरण है जिसमें हम रहते हैं। इसमे सभी जीवित व निर्जीव तत्व आ जाते हैं। हवा पानी मिट्टी पेड़ पौधे जानवर सभी आ जाते हैं। पर्यावरण के सभी कारक मिलकर एक इको सिस्टम तैयार करते हैं।
पर्यावरण के प्रति मनुष्य की जवाबदेही बनती है। वह यह है कि मनुष्य प्रकृति के साथ श्रद्धा से व्यवहार करें। बेहतर परिवहन विकल्प बनाए। बिजली के उपयोग को कम करें। कागज़ का उपयोग कम करें। जहरीले रसायनों से बचना। विश्व पर्यावरण दिवस २०२४ की थीम है “हमारी भूमि हमारा भविष्य” होगी यह थीम भूमि और इकोसिस्टम को बहाल करने जैव विविधता की रक्षा करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक सामूहिक प्रयास पर जोर देती है। आज हम देखते हैं कि ४० प्रतिशत भूमि मरुस्थलीकरण के कारण खराब हो गई है। जिसका सीधा असर दुनिया की आधी आबादी पर पड़ रहा है।
इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी सऊदी अरब कर रहा है। इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस अभियान हमारी भूमि नारे के तहत भूमि बहाली सूखा लचीला और मरुस्थलीकरण पर केंद्रित रहेगा।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हर व्यक्ति को प्रकृति के बीच जीवन यापन की परंपरा का निर्वहन करना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने गाँव शहर का विकास सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से करना चाहिए। ५ जून १९७३ को पहला विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया ने मनाया था। १९७२ में पर्यावरण जागरूकता हेतु एक शिखर सम्मेलन का आयोजन रखा गया था।
वर्तमान में पानी की कमी हो रही है। वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। कचरे का प्रबंधन सही नहीं हो रहा है। गिरता जल स्तर। बढ़ता जल प्रदूषण। पेयजल दूषित। नलों में पीले रंग का पानी आना भूमि का क्षरण मिट्टी का क्षरण हो रहा है एक अध्ययन से पता चला कि दुनिया मे वायु प्रदूषण बढ़ने से हर साल ७ मिलियन लोग दुनिया मे मर जाते हैं। १० में से ९ लोग ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जिसमे उच्च स्तर का प्रदूषण होता है।
साल २०२४ की पंद्रह सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्याएं है उनमें प्रमुख है जीवाश्म ईंधन से गोलबल वार्मिंग, भोजन की बर्बादी जैव विविधता की हानि प्लास्टिक प्रदूषण वनों की कटाई बढ़ता वायु प्रदूषण पिघलती बर्फ की टोपियां और बढ़ता समुद्र महासागरीय अम्लीकरण कृषि फास्ट फैशन और कपड़ा अपशिष्ट मृदा क्षरण होना।
आओ अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। उनकी सुरक्षा करें बड़े करें। फिर हवा, छाया, फल-फूल, गोंद, फर्नीचर की लकड़ी आदि पाएं। शुद्ध वायु ही जीवन का आधार है।

परिचय :-  डॉ. राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित”
निवासी : भवानीमंडी जिला झालावाड़ (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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