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प्रेम

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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गुज़ारें प्रेम से जीवन,
नफ़रती सोच को छोड़ें।
हम अपने सोच की शैली
अभी से, आज से मोड़ें।।

अँधियारे को रोककर,
सद्भावों का गान करें।
मानव बनकर मानवता का
नित ही हम सम्मान करें।।
अपनेपन की बाँहें डालें,
नव चेतन मुस्काए।
दुनिया में बस अच्छे
लोगों को ही हम अपनाएँ।।
जो दीवारें खड़ी बीच
में आज गिरा दें।
अपने जीवन की
शैली को आज फिरा दें।।

लड़ें नहिं,मत ही झगड़ें,
कुछ भी नहीं मिलेगा।
किंचित नहीं नेह के आँगन
में फिर फूल खिलेगा।।
देखें हम पीछे मुड़कर के,
क्या-क्या नहीं गँवाया।
तुमने नहिं, नहिं मैंने लड़कर
कुछ भी तो है पाया ।।
जो फैलाती हैं कटुता ताक़तें,
उनको तो छोड़ें।।
गुज़ारें प्रेम से जीवन,
नफ़रती सोच को छोड़ें।
हम अपने सोच की शैली
अभी से, आज से मोड़ें।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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