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पूर्वजन्म का नव अनुबंध

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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ऐसा भी हो सकता है
बिल्कुल हो सकता है
और यकीनन होता ही है।
हमें खुद इसका
अहसास भी होता है
जीवन का कोई भी पहर हो
जाति, धर्म, उम्र या लिंग कुछ हो
बोध करा ही देता है हमें
पूर्वजन्म के आत्मिक संबंधों का
और जगा देता है भाव
उसके साथ रिश्तों का।
जाने कितने जन्मों बाद
जोड़ देता है हमें उससे
जिसे हम आप जानते
पहचानते तक नहीं
कभी मिले तक नहीं,
शायद मिलेंगे भी नहीं
न नाम का पता,
न शक्ल सूरत का कोई चित्र
न दूर दर तक कोई रिश्ता,
न कोई संपर्क- संबंध।
फिर भी अपनत्व का
भाव अंकुरित हो जाता है
और बन जाता है एक रिश्ता
जिसे हम आप
निभाते हैं बड़ी शिद्दत से
और अटूट विश्वास
करने लगते हैं
पिछले किसी जन्म
के रिश्ते से जोड़
संपूर्ण विश्वास के
साथ निभाने लगी जाते हैं
इस जन्म में भी
पूर्व जन्म की तरह
और बहाना होता है
सीधा साधा सरल सा।
जिसे मानने लगते हैं हम सब
इसे पूर्वजन्मों का संबंध।
जब हो जाता है इस जीवन में
हमारा उस अंजाने से
ऐसा कोई नव अनुबंध,
और प्रगाढ़ होता जाता है
हर पल ये प्रबंध
जिसमें नहीं होता है
कोई द्वंद।
शायद इसीलिए ऐसे
रिश्तों को कहते हैं हम
पिछले जन्मों का है ये अटूट संबंध,
जो इस जन्म में पुनः
अंकुरित हो फलने फूलने लगा है
हमारे रिश्तों का ये नव अनुबंध।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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