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जमाना आजकल

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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जमाना जैसा था कल
वैसा आज है।
कभी नही बदलेगा in
शायद हमसे नाराज हैं।
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जमाना हम से मिलकर
बनता है।
जब हम सुधरेंगे
तो जमाना बदलता है।
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जमाने को दोष मत दीजिए
झाकिए अपने गिरेवान में।
सब कुछ पता लग जायेगा
देखकर अपने गिरेबान में।
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जमाने को किसी की
परवाह नही है।
यह बात सौ प्रतिशत
सही है।
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अगर बदलना चाहते
हो जमाने को
तो बदलाव स्वयं से करो।
टांग खींचना लोगों की
बंद कर अच्छे काम करो।
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आजकल हर आदमी
अपनी मस्ती में मस्त हैं।
अपने दुख से नहीं
बल्कि दूसरो की
खुशी से ग्रस्त हैं।
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परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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