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मृत्यु मेरी दोस्त

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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हे मृत्यु! तू इतना इतराती क्यों है?
आखिर बेवकूफ बनाती क्यों है?
आ जाने की धमकी देकर डराती क्यों है?
तेरा सच मुझे पता है
तुझे आना नहीं होता है
तू तो हरदम सिर पर सवार रहती है
सिर्फ डराती, धमकाती है
पर अफसोस खुद बड़ी असमंजस में रहती है।
तो सुन तू इतना हैरान परेशान न हो
तू स्वतंत्र है जो करना है कर
आने की धमकी देकर मुझे मत डरा
तुझे अब, कहां आना है
तू तो हमारे जन्म के साथ ही
सुषुप्तावस्था में हमारे आसपास ही है
बड़े असमंजस में समय काट रही है।
उहापोह से बाहर निकल
जो करना है खुशी मन से कर
अपना कर्तव्य पूरा कर और खुश रहा करो
मैं तुझसे डरता नहीं हूं,
इसलिए बेवजह समय जाया न कर,
डरने का कोई कारण भी तो नहीं है।
आखिर मुझे जाना तो तेरे ही साथ है
फिर भला मुझसे डरने का मतलब ही क्या है?
अच्छा है जब तक मौन साधे साथ है
मेरी आड़ी तिरछी लेखनी का अवलोकन कर
प्रशंसा न सही तो बुराई ही कर,
पर चुपचाप शराफत से रहकर
मेरे कर्म पथ की राह में अवरोधक भी न बन।
इसमें तेरा ही लाभ है
मेरे साथ तेरा भी समय खुशी-खुशी कट जायेगा
मेरा मान सम्मान अपमान
तेरे समय काटने का साधन बन जायेगा।
जब चलना हो तो मुझे निसंकोच बता देना
बिना किसी प्रतिरोध के मैं साथ हो जाऊंगा
तेरे कर्तव्य की राह में रोड़े नहीं अटकाऊंगा।
पर कान खोलकर मेरी बात सुन समझ ले
मजबूती से गांठ बांध लें, तू कुछ भी कर ले
मैं तेरी धमकी में नहीं आऊंगा
तुझसे कभी डर भी नहीं पाऊंगा
तेरे खौफ का हौव्वा सिर पर नहीं चढ़ा पाऊंगा,
पर इतनी शराफत भी जरुर दिखाऊंगा
हर समय तुझे अपने से दूर भी न रख पाऊंगा
तेरा मान सम्मान सदा ही बढ़ाऊंगा
तेरे जीवन को नया अनुभव कराऊंगा
तू मेरी दोस्त है सारी दुनिया को बताऊंगा।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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