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अंगूर सुता

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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बड़ी क्रूर अंगूर सुता यह
देख नाश का मूल।
जीवन नरक करे यह मदिरा,
पीना तुम मत भूल।।

जितना पैसा रोज कमाते,
खर्च करें भरतार।
बिक जाते हैं बड़े-बड़ों के,
महल अटारी द्वार।
मिलते काँटे ही काटें क्यों,
बोते पेड़ वबूल।

बड़ी क्रूर अंगूर सुता यह
देख नाश का मूल।

जर्जर होती नश्वर काया,
होते हैं बदनाम।
ठप्प काम धंधे हो जाते,
रहे हाथ बस जाम।।
घर मे कलह नित्य ही होती,
सपने मिलते धूल।

बड़ी क्रूर अंगूर सुता यह
देख नाश का मूल।।

मादकता में खोता जीवन,
चखता जो है स्वाद।
फिर आसव का चक्कर हरदम,
लाता है उन्माद।।
मधुशाला अभिशाप सुनो यह,
होता जीवन शूल।

बड़ी क्रूर अंगूर सुता यह
देख नाश का मूल।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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