मयंक कुमार जैन
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
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युवा पीढ़ी किसी भी देश या समाज को बनाने या बिगाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। युवा पीढ़ी में न सिर्फ उत्साह और उत्साह है, बल्कि नए विचारों को बनाने और बदलने की क्षमता भी है। वे कुछ करना चाहते हैं, और यदि युवा कुछ करने का मन बना लें तो कुछ भी असम्भव नहीं है। हमारे देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी ३५ वर्ष से कम है।
भारत को हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए हमारे मेहनती और प्रतिभाशाली युवाओं को सही दिशा दी जा सकती है। भारत की युवा पीढ़ी उत्साहपूर्ण और उद्यमशील है और हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। युवा वर्ग कल से बहुत उम्मीद करता है। आज, अगर कोई कमी है तो उसे सही समय पर मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी उनके माता-पिता, शिक्षकों और पूरे समाज की है। स्वामी विवेकानंद ने हमेशा देश की युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, इसलिए हर बुद्धिजीवी नागरिक को अपने उच्च चरित्र के व्यक्तिगत उदाहरण से युवाओं को प्रेरणा देना चाहिए।
वर्तमान डिजिटल युग में युवा वर्ग बहुत से काम कर सकता है, लेकिन वे कभी-कभी भटक जाते हैं जब वे सोशल मीडिया का गलत प्रयोग कर नकारात्मक सोच पैदा करने लगते हैं। वे डिजिटल मीडिया के माध्यम से अनगिनत अपराध करते हैं और अपना जीवन बर्बाद करते हैं। वे इंटरनेट पर क्या देखते हैं और मजनूं की तरह व्यवहार करने लगते हैं।
वर्तमान में यह भी देखा जाता है कि युवा वर्ग विदेशों में जाना पसंद करता है क्योंकि वहाँ आसानी से काम मिलता है, लेकिन वे शायद कभी नहीं सोचा होगा कि उनके माता-पिता के पीछे से कोई नहीं है। भारतीय युवा मेहनती और सस्ता होने के कारण दूसरे देश अधिक वेतन देते हैं। ऐसे युवा देश छोड़कर विदेशी बन जाते हैं। दिशाहीन युवा अक्सर अपने लक्ष्यों से भटक जाते हैं और कई बुरी आदतों का शिकार हो जाते हैं। इस प्रकार युवाओं की सूरत व सीरत, दशा व दिशा बदलने के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं।
(१) युवा लोगों को श्रीकृष्ण की इन तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए: (क) बड़ों का सम्मान करना और उनका आशीर्वाद पाना; (ख) अपने अहंकार और अहंकार को त्यागना; और (ग) जीवन में कड़ा परिश्रम करना। उन्हें याद रखना चाहिए कि एक कठोर पत्थर सिर्फ हथौड़े की चोट से टूटता है, इसलिए उन्हें लगातार मेहनत करनी चाहिए। जैसे थामस एडीसन ने बिजली के बल्ब को ७०० बार प्रयास करने के बाद बनाया था, लोगों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत रहना चाहिए।
(२) बुरा व्यवहार छोड़कर अच्छा व्यवहार करना चाहिए याद रखें कि खुली हवा में लोहा जंग लगता है, लेकिन आग से गुजरने पर वह स्टील बन जाता है। उन्हें एक लक्ष्य बनाना चाहिए, नहीं तो उनका प्रयास बेकार जाएगा, जैसे पानी की तलाश में एक ही जगह गहरा कुआं न खोदकर कई जगह खाइयां खोदने से कुछ नहीं मिलता।
(३) अपनी आत्मा को समझें, अपने अस्तित्व और क्षमता को समझें।
(४) समय बर्बाद न करना सीखें और समय को संभालना सीखे ध्यान रखें कि एक बार बहते हुए नदी के पानी को फिर से छुआ नहीं जा सकता, क्योंकि समय किसी का इंतजार नहीं करता।
(५) अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें, क्योंकि आपको जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
(६) जीवन में चार बड़े सुख हैं: पत्नी, परिवार, दोस्त, धन-दौलत और स्वास्थ्य। माना जाता है कि सबसे बड़ा सुख स्वस्थ होना है, इसलिए अपने आप को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखें. अगर आप स्वस्थ नहीं हैं, तो आप बाकी सुखों का आनंद नहीं ले पाओगे।
(७) उड़ती पतंग की तरह आपकी डोर कभी भी टूट सकती है, इसलिए विनम्र रहें और जमीन से नाता न तोड़ें। फल चाहते हैं तो कांटों का सामना करना होगा। केवल वे लोग जो सफर की शुरूआत करते हैं, ही अपनी मंजिल पा सकते हैं। हार के बाद जीत उसी तरह होती है जैसे अंधेरे से प्रकाश निकलता है।
(८) अपने माता-पिता और शिक्षकों का सम्मान करें हमारे माता-पिता बहार हैं, जिस पर फिजा एक बार आ जाए तो फिजा दोबारा नहीं आती। याद रखें कि माता-पिता की मृत्यु के बाद जगह अंधेरी लगती है।
यह पक्षी उड़ने के बाद वापस नहीं आते। सहारा देने वाले जब खुद सहारा खोजते हैं, और बोलना सिखाने वाले जब खुद खामोश हो जाते हैं, तो अलफाज और आवाज दोनों बेकार हो जाते हैं। यही कारण है कि हमेशा अपने माता-पिता का कर्ज चुकाने का स्मरण रखें।
परिचय :- मयंक कुमार जैन
निवासी : अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
सम्प्रति : मंगलायतन विश्व विद्यालय अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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