Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जनहित याचिका …

शांता पारेख
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

जनहित याचिका क्या होती है, कौन कब कैसे लगा सकता है, ये कितने लोग जानते है, नही पता पर इतना पता जरूर है कि नॉन लीगल आदमी भी लगा सकता है व उसके सुनवाई के परिणाम स्वरूप कई अच्छे कानून बने है जिससे आम लोगो को बड़ी राहत मिली है। इंदौर में एक ऑटो मोबाइल व्यापारी एस. पी. आनंद हर जायज बात के लिए जन हित याचिका लगाते थे, उनसे मेरी मित्रता हो गई, वे मुझसे चालीस वर्ष बड़े थे, पर आम जनता की समस्याओं के प्रति मेरी रुचि देखते हुए जब भी नई याचिका लगाते मेरे घर आते व बताते कि आज ये लगाई, पिछली की सुनवाई हुई ये हुआ, ये कानून बनने का मसौदा विधि विभाग को दिया गया है। मुझे बहुत आश्चर्य होता था, कि सेवा करने के कितने तरीके हो सकते है, अपनी जेब का धन समय खर्च कर कोर्ट में भटकना कम बात नही होती है। वे वकील नही थे, परिवार भी पूरा व्यवसायी था। एक बार उनका फोन आया आज उस केस की सुनवाई है, इतनी बजे कोर्ट आना फला रूम में। मुझे बहुत खुशी थी कि दादा पड़ दादा ताऊ भाई सबके वकील होते मैंने सच मुच की कोर्ट नही देखी थी। उत्साह से मैं गई, कई परिचित मिले उन्होंने अजीब नज़र से देखा, मैं सकपका गई पर उमंग बहुत थी, मैं यथासमय दर्शक दीर्घा में बैठी व पूरी बहस सुनी। जिसका विषय था कि सरकार आधी रात को किसानों को बिजली देती थी, गेँहू की फसल अगर मावठा न पड़े तो पानी न देने पर दुध नही भरेगा तो दाना छोटा रह जाता है, तो सब कृषि लागत आती पर भाव नही मिलता है। तो किसान पूस की रात में खेत जाय पानी दे, अधपेट, वस्त्र भी पर्याप्त नही, अगर निमोनिया की चपेट में आ जाये व सांप बिछछू काट ले तो क्या। इसलिए बिजली का समय बदला जाय, विपक्ष का कहना था रात को बिज़ली की खपत कम होती है, उद्योग व स्कूल कॉलज व अस्पताल को ज्यादा जरूरी है। उनके सशक्त तर्क से माननीय न्यायमूर्ति ए के पटनायक ने उनकी बात समझी व आदेश दिया कि सब नागरिक बराबर है। इसलिए बिजली सुबह छः बजे दी जाय व उसका पालन हुआ मैं साक्षी हूँ। मेरी मंशा यह है, कि किसी भी काम के लिए मोर्चा जुलूस निकालने से अच्छा है, कोर्ट में याचिका लगाई जाए वहाँ सारे मामले पे बहस होती हर बिंदु पर संविधान के दायरे में विचार होता व जज के अनुसार अनुशंसा होने पर आदेशो में फेर बदल किया जा सकता है। जुलूस धरना प्रदर्शन से जनता का ध्यान जाताहै, यातायात बाधित होता है फोटो छपते है। चुनाव में टिकिट मिलने के रास्ते प्रशस्त होते है। पर न्याय मंदिर तक बात पहुंचाने का यही तरीका है, जहाँ परिणाम मिलने की पूरी संभावना है, पर विषय ठोस व जनकल्याण के होने चाहिए जिससे आम जन को राहत मिल सके। अन्यथा कोर्ट का समय बर्बाद करने का दोष भी लग सकता है। सावधानी पूर्वक विषय चुने जिसमे अधिकांश का लाभ हो व कम का नुकसान हो क्यों कि हर सिक्के के दो पहलू तो होंगे ही।

परिचय : शांता पारेख
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *