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जनम दिन के बधाई

खुमान सिंह भाट
रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़)
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छत्तीसगढ़ी कविता

जस किरती बाढ़य तोर,
समे होवय सुखदाई।
जनम बछर के प्रियांशी
बिटिया ल, घेरी बेरी बधाई।

दाई ददा के दुख पीरा म
अपन हरदम साथ तैय देबे।
अऊ डोकरा बाबा के तैय
बन जाबे संगवारी जी
जिनगी ल जे हार चुके हे,
आंखी में जेखर आंसू भरे हे।
दुखिया जान के हाथ बढ़ाबे,
अईसे ओकर करबे
तैय ओकर भलाई जी

सादा जीवन अऊ उच्च विचार ले
अपन जीवन ल सुघ्घर कर जाना हे
घर परिवार अऊ संगी साथी संग
मया पिरित के बंधना म
अईसे तैय बंध जाबे,
चाहे कतको मजबूरी होवय।
दाई-ददा के संग अपन
सपना ल सिरतोन करे बर,
पढई-लिखई म अभी ले
तैय जुड़ जाबे जी

सगरो पराणी के आशीर्वाद मिलय
अऊ तोर सपना कभु
झन खाली होवय।
मान अऊ मर्यादा के हितइशी बन,
घर समाज के रखवाली होवय।
जनम देवईया महतारी के
अंचरा म, सबके होवय सहाई जी।
अऊ जनम बछर के प्रियांशी
नोनी ल, घेरी बेरी बधाई

परिचय :- खुमान सिंह भाट
पिता : श्री पुनित राम भाट
निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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