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मांँ

चेतना प्रकाश “चितेरी”
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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बताओ पापा !
मांँ कैसी होती है?

जितना मैंने जाना
मांँ भगवान की प्रतिरूप होती है।

बताओ दीदी!
माँ कैसी होती है?
जितना मैंने पहचाना
माँ ममता की मूरत होती है।

बताओ भैया! माँ कैसी होती है?
जितना मैंने समझा,
हर मांँ सुंदर है,
जिसके हृदय में स्नेह अपार होती है।

मेरे पापा! मेरी दीदी! मेरे भैया!
मैंने महसूस किया,
माँ तारा बनकर भी
हम सबके पास रहती है।

माँ की सूरत कभी नहीं देखी,
लेकिन मैं जान गया,
माँ किसी से भेदभाव नही करती,
माँ सबसे अच्छी होती है।

परिचय :- चेतना प्रकाश “चितेरी”
निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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