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मजदूर हूँ मजबूर नही

गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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मजदूर हूँ मजबूर नही,
करता कभी ग़ुरूर नही!
सींचा श्रम से कण-कण,
तोड़ा कभी दस्तूर नही!!
मेरे उर से जन्मा उत्थान
मैंने किया नूतन-निर्माण!
छुपा पेट भर रोटी में, मेरी,
सकल सृस्टि का कल्याण!!
धरती बनाई दुल्हन मैंने,
सही हसके हर उलझन मैंने!
रहा बांटता खुशियां अगनित,
पर की न मैली चितवन मैंने!!
चलता रहा सुबह-से शाम
नही किया क्षणिक विश्राम!
भाता मेहनत का कमाया ही
लगे मुफ़्त के हीरे-मोती हराम!!
गम नही, नही पास महल
यूंही जाते हैं बच्चे बहल!
‘आज’ हमारा ही है जीवन,
क्या भरोसा कल का चहल!!
भाती है मेहनत की रोटी,
हमसे ही हैं बंगला-कोठी!
नही ज़माने से कोई गिला,
समझना नही नियत खोटी!!

परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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