सोनल सिंह “सोनू”
कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
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मंजिल का क्यों नहीं ध्यान तुझे,
कैसे हो जाती है, थकान तुझे,
खुद की नहीं है, पहचान तुझे,
समय का क्यों नहीं, भान तुझे?
पथ से कैसे, भटक गया है तू?
बाधाओं में कैसे, अटक गया है तू?
झूठी तकरारों में लटक गया है तू,
अगर-मगर में सिमट गया है तू।
तोड़ दीवारें आगे बढ़ने की ठान,
अपनी ऊर्जा को पहचान,
ग्रहण कर,हो सके जितना ज्ञान,
सबको हो तुझ पर अभिमान,
बड़ी सोच का जादू चला,
दुनिया मुट्ठी में कर दिखा।
काम में अपने जुटा रह ,
प्रगति के पथ पर डटा रह।
संघर्षों से मंजिल पाएगा,
दुनिया में नाम कमाएगा।
औरों को राह दिखाएगा,
जीवन सफल हो जाएगा।
परिचय – सोनल सिंह “सोनू”
निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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