
शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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प्रेम में मांगा नहीं जाता
प्रेम में दिया जाता है
प्रेम किया नहीं जाता
प्रेम जीया जाता है
प्रेम में स्वार्थ नहीं होता
प्रेम में परमार्थ होता है
प्रेम को मापा नहीं जाता
प्रेम को साधा जाता है
प्रेम एक तरफा भी होता है
प्रेम दूर से भी निभाया जाता है
अखंड प्रेम बार-बार नहीं होता
प्रेम एक ही बार में संपूर्ण होता है
प्रेम पागल नहीं होता
प्रेम तो चैतन्य संक्रिया है
प्रेम को सोचा नहीं जाता
प्रेम एक सतत प्रक्रिया है
प्रेम में किसी बांधा नही जाता
प्रेम में इंसान खुद बंध जाता है
प्रेम में सतत प्रवाह होता है
प्रेम को कहीं रोका नहीं जाता
प्रेम में गमगीन नहीं होना पड़ता
प्रेम में पूर्णत: लीन होना होता है
‘तू नहीं तो कोई और’ अ-प्रेम है
प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता
परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “समाजसेवी अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
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