संजय डुंगरपुरिया
अहमदाबाद (गुजरात)
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केवल आनंद के लिए लिखा गया किसी की धार्मिक भावना आहत करने का मकसद नहीं है। सभी लोग फुरसत में हैं, भक्ति, मेडीटेशन सब यथाशक्ति कर रहे हैं। मैं भी कर रहा हूँ बार-बार सुने हुए सुंदरकांड में आज कुछ नए-नए अर्थ निकल के आये, नई-नई प्रेरणाएं मिली। आज के परिप्रेक्ष्य में …
समस्याएं आज भी सुरसा की तरह बड़ी होती जाती है आपको उनसे दुगुनी शक्ति से सामना करना होता है। लोग पहले भी सबूत मांगते थे आज भी मांगते हैं, नही तो हनुमान को रामजी मुद्रिका क्यों देते, और सीताजी चूड़ामणि उतार के क्यों देती। केजरीवाल और कांग्रेस को सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट के सबूत मांगते देखा है।
लोग पहले भी विश्वास नही करते थे आसानी से अब भी नही करते, सीताजी को हनुमानजी की क्षमता पे संदेह हुआ तो कनक भूधराकार शरीर दिखाना पड़ा तब विश्वास हुआ। जनता आज भी मोदीजी पे विश्वास कहाँ कर पा रही। आज भी सच जब तक चप्पल पहनता है झूठ संसार का चक्कर लगा के आ जाता है…
गोस्वामी जी अपने हीरो हनुमानजी की वीरता का वर्णन जैसे करते हैं वैसे बॉलीवुड की या हॉलीवुड की किसी भी फ़िल्म में नही देखा, फाइट सीक्वेंस भी अप्रतिम बनाये गोस्वामी जी ने।
यथा
एक से अधिक बार सुंदरकांड में राक्षसों को पछाड़-पछाड़ के मारते हुए उनके अंडकोष बिखर जाते हैं, यही नही हनुमान जी के चिककार और किटकिटाहट से आसन्नप्रसवा राक्षसियोँ के गर्भस्त्राव हो गए। सनी देओल किसी फ़िल्म में ऐसा नही चिल्ला सके, फिल्मकार प्रेरणा ले सकते हैं…..
परपीड़ा में आनंद तब भी लोगो को पसंद था, हनुमानजी की पूंछ में आग लगा के पूरा लंका आनंदित हो रहा था, आज भी किसी निरीह को कुछ लोग मारते हैं तो जनता भीड़ बना के आनन्द लेती है….
मंदोदरी की समझाइश का असर रावण पे तब भी नही हुआ आज भी पुरुष पत्नी की कहाँ सुनते हैं। और भी कई हैं पर लेखन ज्यादा लंबा हो जाएगा, पाठक के धैर्य को आजमाना ठीक नही।
परिचय :- संजय डुंगरपुरिया
निवासी : मनीनगर, अहमदाबाद (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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