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तेरा अहसास …

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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दूर होकर भी जो
तुम्हारे पास होने का
कराता है आभास
वही कहलाता हैं अहसास।
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जब भी मुझे तुम्हारे पास
होने का एहसास होता है
वह पल मेरे लिए
बहुत खास होता है।
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अहसास से हमें
मानसिक बल मिलता है।
उसी के आशा से
सुनहरा कल मिलता है ।
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अहसास खत्म होने से
रिश्ता खत्म हो जाता है
क्योंकि बंधन रिश्तों का नहीं
बल्कि अहसास का होता है।
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दूर रहकर भी तेरा
अहसास होता है।
तू सामने नही पर हर
ख्वाब में साथ होता है।
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अहसास आशा
उम्मीद जगाये रखता है।
दूर होकर भी प्रियतम को
पास बनाए रखता है।
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जीने के लिये जैसे
जरूरी है सांस।
वैसे ही जरूरी है
हर वक्त तेरा अहसास।

परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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