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अबके वर्ष होली में

गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी”
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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गायें गीत मधुर मिलन के
अबके वर्ष हम होली में।
मलदें विश्वासी प्रेम रंग
देश-धर्म की चोली में।।

बांटलें खुशियां मिलके सारी
हस -हस बांटलें सारे गम।
बिसराऐं मन से सारे विकार
मिटाएं मन से मन के भृम।
क्रोध-क्रूरता त्याग,पुनीत
भाव भरें निज बोली में।। गायें गीत…..

रहें न नफ़रत के निशां शेष
हर डगर खिले सोहार्द-चमन।
हर ह्रदय बहे रसधार प्रेम की
रुके भेदभाव का कुटिल सृजन।
एकता-और-अमन मुस्काये
अखंडता की अनुपम रोली में।। गायें गीत…

जात-पात आतंक-अधर्म से
काम नही अब चलने बाला।
हत्या-औ -हिंसा से मनुजों
मैल नही अब धुलने बाला।
आओ सींचे बंधुता की बगिया
भरकर अश्रुजल झोली में।।
गायें गीत मधुर मिलन के
अबके वर्ष हम होली में।।
मलदें विश्वासी प्रेम रंग
देश-धर्म की चोली में।।

परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा “गोविमी
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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