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वसंत की छटा होली संग

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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जब भी माधव मन में आएं
ॠतु बहार,बसंत की छाए
राधावल्लभ के दर्शन हों
मन की कलियां खिल जाएं।

पीताम्बर छवि मन में समाई
फूल खिले, सरसों बिखराई
हर ओर है छाई ॠतरानी
पुष्पांजलि अर्पित धानी धानी।

बसंत में डूबी होली आई
दौड़े-दौड़े आए कन्हाई
हर‌ओर समा वृंदावन का
रंग राधा का, बरसाने का।

प्रकृति डुबी रास रंग में
आस जगी सबके मन में
दिनकर की किरणों संग
ईश्वर का वरदान बसंत।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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